
बलौदाबाजार।परंपराओं को तोड़ते हुए और बेटा-बेटी में भेदभाव करने वाले सोच को चुनौती देते हुए कसडोल की पूर्व विधायक और पूर्व संसदीय सचिव शकुंतला साहू ने अपनी मां लीला देवी साहू के अंतिम संस्कार में ऐसी मिसाल पेश की जो समाज के लिए एक प्रेरणा बन गई।
बुधवार सुबह करंट लगने से 65 वर्षीय लीला देवी साहू का आकस्मिक निधन हो गया। इस भावुक क्षण में बेटी शकुंतला साहू ने न केवल मां की अर्थी को कंधा दिया, बल्कि शमशान घाट पहुंचकर मुखाग्नि भी दी—एक ऐसा कार्य जो परंपरागत रूप से बेटे से जुड़ा माना जाता है।
शकुंतला साहू ने इस कर्म के जरिए स्पष्ट संदेश दिया:
“बेटी भी बेटे से कम नहीं होती।”
गृहग्राम रसौटा में लीला देवी का अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से संपन्न हुआ। मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण, सामाजिक प्रतिनिधि, कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण ने वहां उपस्थित सभी लोगों को गहराई से भावुक और प्रेरित कर दिया।