
रायपुर।राज्य की बीजेपी सरकार एक ओर नशामुक्त समाज और युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की बातें करती है, तो दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में तेजी से शराब दुकानों का जाल बिछाया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण रायपुर जिले से सामने आया है, जहां कलेक्टर (आबकारी) कार्यालय द्वारा 7 जून 2025 को जारी एक निविदा में दो नई शराब दुकानों के लिए भवन आमंत्रित किए गए हैं।
यह दोनों दुकानें:
समोदा, भैंसा, दोही टेमरी गांव में कंपोजिट विदेशी मदिरा दुकान, और
नया रायपुर सेक्टर-29 में कंपोजिट देशी मदिरा दुकान के रूप में खोली जानी हैं।
इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि इच्छुक भवन/परिसर मालिक अपने दस्तावेजों के साथ सीलबंद लिफाफे में 2 जुलाई तक निविदा जमा कर सकते हैं। यही नहीं, उसी दिन निविदा खोली भी जाएगी
विरोधियों ने उठाए तीखे सवाल
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस फैसले को “बीजेपी सरकार की दोहरी नीति” करार दिया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा,
“जब बीजेपी विपक्ष में थी, तब पूरे राज्य में शराबबंदी का ढोल पीटती थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद उसका असली चेहरा सामने आ गया है।”
ग्रामीणों में बढ़ रही नाराज़गी
खासकर टेमरी समोदा और भैंसा जैसे गांवों में, जहां पहले भी शराब के विरोध में महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ता सड़कों पर उतर चुके हैं, अब फिर से आक्रोश भड़कने की संभावना है।
मुख्य तथ्य जो बीजेपी को कठघरे में खड़ा करते हैं:
सरकार की ओर से “नशा मुक्त छत्तीसगढ़” का वादा, पर ज़मीन पर नई शराब दुकानें
संवेदनशील ग्रामीण क्षेत्रों में विदेशी शराब की दुकान खोलने की योजना
स्थानीय निवासियों की राय लिए बिना फैसला
भाजपा के पूर्व शराबबंदी आंदोलन पर सवाल
चुनावी रणनीति या जनविरोधी नीति?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार की नीतियां आगामी चुनावों में बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं, खासकर ग्रामीण और महिला मतदाताओं के बीच।