
पांच दिवसीय ‘खारुन आज़ादी पदयात्रा’ का समापन हुंकार सभा और महाआरती के साथ
हितेश साहू रायपुर। भीषण गर्मी और नवतपे की तपिश के बीच छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के नेतृत्व में आयोजित पांच दिवसीय “खारुन आज़ादी पदयात्रा” विश्व पर्यावरण दिवस के दिन गुरुवार को महादेवघाट में एक विशाल हुंकार सभा और महाआरती के साथ संपन्न हुई। पदयात्रा का उद्देश्य राजधानी रायपुर की जीवनदायिनी नदी खारुन को प्रदूषण और विनाश से बचाना था।
इस जनांदोलन में सुंगेरा समेत अन्य तटीय गांवों के हजारों ग्रामीणों ने भाग लिया, जिनमें लगभग 500 महिलाएं शामिल थीं। यात्रा सरोना से आरंभ होकर डंगनिया, रायपुरा होते हुए महादेव घाट पहुंची। रास्ते में ग्राम पंचायतों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने यात्रियों के विश्राम और भोजन की व्यवस्था की।
पदयात्रा के दौरान खारुन नदी की बदहाल स्थिति को लेकर जनजागरूकता फैलाई गई और पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदना को स्वर मिला। सभा में वक्ताओं ने कहा कि एक समय अन्नदायिनी और रोजगार देने वाली खारुन आज जलकुंभी और जहरीले पानी की शिकार हो चुकी है। नदी के पानी की दुर्गंध और विषैले स्वरूप ने लोगों को झकझोर दिया है।
सभा में क्रांति सेना के अध्यक्ष डॉ. अजय यादव सहित लता राठौर, चंद्रकांत यदु, भूषण साहू, तारण दास साहू, ललित बघेल, सोनू राठौर, ऋचा वर्मा, उषा श्रीवास जैसे प्रमुख वक्ताओं ने खारुन बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस आंदोलन को एकमात्र राजनीतिक समर्थन जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी और उसके अध्यक्ष अमित बघेल का मिला, जिन्होंने न केवल समर्थन दिया बल्कि पूरे पाँच दिन पदयात्रा में शामिल होकर नेतृत्व भी किया।
सभा उपरांत राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन स्थानीय प्रशासन को सौंपा गया। अंत में सैकड़ों लोगों ने एक साथ खारुन दाई की महाआरती की और यह संकल्प लिया कि जब तक खारुन को पुनर्जीवित नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।